विकसित भारत@2047 का स्वप्न ही रामराज्य और साझी विरासत की नीव है – जे.नन्दकुमार
अनूप कुमार ,नई दिल्ली !!
करुणा फाउंडेशन के तत्वाधान में विकसित भारत @2047, रामराज्य और साझी विरासत विषय पर विचारगोष्ठी आयोजित हुआ जिसमे मख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रचारक एवं प्रज्ञा प्रवाह के संयोजक जे नन्दकुमार जी एवं प्रो. गीता सिंह , अतुल कुमार सोबिती , हर्षवर्धन त्रिपाठी ,नसेर अहमद , नितेश्वर कुमार ने अपने अपने विचारों को विस्तार पूर्वक व्यक्त किया इन्द्रप्रस्थ महोत्सव एवं करुणा फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 21 फरवरी 2024 अपराह्न 2:30 बजे इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, एनेक्सी, लोधी एस्टेट, नई दिल्ली में विकसित भारत @ 2047: रामराज्य और साझी विरासत विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री जे नन्दकुमार संयोजक, प्रज्ञा प्रवाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मौजूद रहे। श्री नन्दकुमार ने वर्तमान समय में राम राज्य की प्रासंगिकता भारतीय आध्यात्मिक चेतना व संस्कृति के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान सरकार की वैश्विक नीतियों का उल्लेख किया इसके साथ उन्होंने बताया कि हम राष्ट्र के नवनिर्माण में शिक्षा, कृषि व राजनीति तथा व्यावसायिक रूप से किस प्रकार योगदान दे सकते हैं । इसके साथ कार्यक्रम में विभिन्न वक्ताओं ने रामराज्य को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करते हुए इसके विभिन्न विषयों पर प्रकाश डाला जिनमें श्री हर्षवर्धन त्रिपाठी वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीति विशेषज्ञ, ने बताया कि वर्तमान सरकार रामराज्य के संकल्प के साथ देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं । इसके बाद प्रोफेसर गीता सिंह निदेशक, सीपीडीएचई (यूजीसी-एम एम टी टी)दिल्ली विश्वविद्यालय ने राम के विभिन्न आदर्शों के विषय में परिचर्चा की तथा साथ ही भारत की मूल चेतना पर प्रकाश डाला। , कार्यक्रम में श्री नेसार अहमद पूर्व अध्यक्ष, आई सी एस आई नई दिल्ली तथा श्री अतुल सोबती महानिदेशक,स्टैंडिंग कॉन्फ्रेंस ऑफ पब्लिक एंटरप्राइजेज (स्कोप) ने भी राम राज्य की संकल्पना को साकार करने के लिए अनेक मत प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का आधार करुणा फाउण्डेशन के संस्थापक श्री कुंदन झा ,व एडवोकेट तनु मिश्रा फाउण्डेशन के सभी सदस्यों के साथ आपसी सहयोग से समाज में राष्ट्रीय भावना का निरंतर संचार करते आ रहे हैं । यह संस्था साहित्य, संस्कृति तथा विभिन्न सामाजिक विषयों को लेकर अनेक संगोष्ठियों, परिचर्चाओं के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ताओं , विशेषज्ञों व शोधार्थियों के बीच कार्यरत हैं जिसके माध्यम से समाज में विचारों का प्रवाह सतत चला आ रहा है।