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चोल राजवंश का इतिहास

अनूप कुमार , नई दिल्ली !!

मध्यकालीन इतिहास के पन्ने पलटकर देखा जाए तो इतिहास की संरचनाओं से भारत के उन महान राजवंशों के बारे पता लगता है, जिन्होंने सीमाओं से परे जाकर अपने राजवंश के लिए खूब ख्याति कमाई। ऐसे राजवंश जिनके शासन में सभ्यताओं का संरक्षण हुआ, जिनके शासनकाल में कला और संस्कृति को बढ़ावा मिला। इस पोस्ट में आपको ऐसे ही महान राजवंशों में से एक ‘चोल राजवंश’ के बारे में बताया जा रहा है।

चोल राजवंश के संस्थापक का नाम राजा विजयालय
चोल राजवंश की स्थापना कब हुई? लगभग 850 ईसा पूर्व
चोल राजवंश के महानतम शासक का नाम राजराजा चोल
चोल राजवंश के अंतिम शासक राजेन्द्र चोल
कब से कब तक रहा चोल राजवंश का शासन 8-12वीं शताब्दी ईस्वी
गंगा का विक्टर किस चोल राजा को कहा जाता है? राजेन्द्र चोल

चोल राजवंश का संक्षिप्त इतिहास


मध्यकालीन इतिहास पर प्रकाश डाला जाए तो चोल साम्राज्य का पहला जिक्र तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक के पुरालेखों में मिलता है। उस समय के चोल राजवंश को ‘प्रारंभिक चोल’ के रूप में जाना जाता था। हालाँकि उस समय ‘पल्लव’ और ‘पांड्या’ राजाओं का शासन विस्तार पा रहा था। वहीं प्रारंभिक चोल वंश का शासन काफी छोटे स्तर पर था।

मध्यकाल में ‘पल्लव’ और ‘पांड्या’ दोनों के बीच शक्ति और सत्ता के लिए भीषण संग्राम चला, इन दोनों के संघर्ष का फायदा उठाकर चोल साम्राज्य के संस्थापक ‘विजयालय चोल’ ने कावेरी नदी के डेल्टा के पास “तंजावूर” में अपना कब्जा स्थापित कर के चोल राजवंश की स्थापना की। विजयालय ने अपनी राजधानी के रूप में “तंजावूर” को चुना है, यहीं से चोल राजवंश अस्तित्व में आया।

850 ईसा पूर्व में विजयालय चोल ने चोल राजवंश के पहले शासन की स्थापना की थी, जिनके बाद 870 ईसा पूर्व विजयालय चोल के बेटे “आदित्य प्रथम” ने सत्ता की बागडोर संभाली और साम्राज्य का विस्तार किया। इसके बाद अन्य चोल राजाओं का नाम आते हैं, इसमें “परांतक प्रथम” बहुत विख्यात राजा हुए हैं जिन्होंने पांड्यों की राजधानी मदुरै पर जीत हासिल की थी। आपको बता दें कि इस राजवंश का शासन 13वीं शताब्दी से लेकर आने वाली पाँच से अधिक शताब्दियों तक चलता रहा।

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