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चीन नेपाल संबंधों में कांटा कैसे बना पोखरा हवाई अड्डा, श्रीलंका के हंबनटोटा से क्यों हो रही तुलना

चीन और नेपाल के बीच पोखरा हवाई अड्डे को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। पोखरा हवाई अड्डा पिछले एक साल से अंतरराष्ट्रीय उड़ान के लिए तरस रहा है। इस बीच चीन को कर्ज की पहली किश्त देने की तारीख भी नजदीक आ रही है। ऐसे में पोखरा हवाई अड्डे की तुलना श्रीलंका के हंबनटोटा से की जा रही है।

चीन-नेपाल संबंधों में हाल के दिनों में तल्खियां काफी बढ़ गई हैं। ऐसी रिपोर्ट हैं कि दोनों देशों में पोखरा हवाई अड्डे को लेकर विवाद चरम पर है। चीन पोखरा हवाई अड्डे को बीआरआई की परियोजना बताता है। उसका कहना है कि इस हवाई अड्डे का निर्माण बीआरआई के तहत दिए हुए कर्ज से किया गया है। वहीं, नेपाल का कहना है कि चीन के साथ बीआरआई को लेकर सिर्फ एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं, परियोजना पर अभी तक कोई सहमति नहीं बनी है। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ने पिछले साल के अंत में चीन यात्रा के दौरान बीजिंग से पोखरा हवाई अड्डे के निर्माण के लिए दिए दिए कर्ज को अनुदान में बदलने की अपील भी की थी, लेकिन जिनपिंग प्रशासन इस मुद्दे पर खामोश ही रहा।

नेपाल के लोगों को क्या डर लग रहा

अब पोखरा हवाई अड्डे को लेकर नेपाल में विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि चीन कर्ज को चुकाने के बहाने पोखरा हवाई अड्डे पर सेना तैनात करने का बहाना बना सकता है। इस तरीके से वह नेपाली संप्रभुता को चुनौती दे सकता है। पोखरा हवाई अड्डा नेपाल के लोगों के लिए गौरव का प्रतीक है। इसका पूरा होना कई नेपालियों के लिए किसी सपने के पूरा होने जैसा है। इस हवाई अड्डे के निर्माण का काम 1970 के दशक से शुरू हुआ था, लेकिन परिचालन शुरू होने के बावजूद हवाई अड्डा पूरी तरह नहीं बन पाया। पोखरा हवाई अड्डे के निर्माण में पैसा हमेशा एक समस्या बना रहा।

पोखरा हवाई अड्डे के जरिए नेपाल को फंसाया

इस बीच चीन की नजर पोखरा हवाई अड्डे पर पड़ी। चीन ने नेपाल से पोखरा हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए नेपाल के साथ 2016 में समझौता किया। पोखरा हवाई अड्डे के निर्माण के लिए चीन ने बीआरआई के तरह चीन को 215.96 मिलियन डॉलर का कर्ज दिया है। 2022 में इस हवाई अड्डे का निर्माण कार्य पूरा हो गया। जिसके बाद पुष्प कमल दहल के प्रधानमंत्री बनने के चंद दिनों बाद 2 जनवरी 2023 को पोखरा हवाई अड्डे का विधिवत उद्घाटन किया गया। इस हवाई अड्डे से नेपाल को पर्यटकों की संख्या में इजाफे के अलावा एयर कार्गो के जरिए कमाई करने की उम्मीद थी, लेकिन धीरे-धीरे उसकी उम्मीदों पर ग्रहण के बादल लग गए।

हंबनटोटा से क्यों हो रही है तुलना

पोखरा हवाई अड्डे से आज तक कोई भी अंतरराष्ट्रीय उड़ान न तो आई है और ना ही गई है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि नेपाल के पोखरा हवाई अड्डे का हाल श्रीलंका के हंबनटोटा के जैसे हो सकता है। चीन ने अरबों डॉलर का कर्ज देकर श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह और उससे थोड़ी दूरी पर हंबनटोटा एयरपोर्ट को बनाया था। शुरू में तो इस हवाई अड्डे से श्रीलंका ने खूब कमाई की, क्योंकि महिंदा राजपक्षे का गढ़ होने के कारण इस एयरपोर्ट पर उतरने वाले यात्रियों को काफी सहूलियतें दी गई, लेकिन जैसे ही सरकार बदली, उन सभी स्कीम को रोक दिया गया। इससे हंबनटोटा हवाई अड्डा खाली पड़ने लगा। वर्तमान में यह दुनिया का सबसे खाली हवाई अड्डा है, जो अपनी कमाई से बिजली का बिल तक नहीं भर पाता।

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