वसुधैव कुटुंबकम, ये मूल्य हमारी सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं में समाहित हैं : प्रधानमंत्री प्रचंड
प्रधान मंत्री पुष्प कमल दहाल ने कहा है की नेपाल मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता चाहता है, उन्होंने कहा कि नेपाल संयुक्त राष्ट्र के प्रासंगिक प्रस्तावों के आधार पर फिलिस्तीन और इज़राइल के बीच मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय सीमा के भीतर शांति और सुरक्षा के लिए खड़ा होना चाहता है।
‘साझा विश्व समृद्धि के लिए गहन सहयोग’ के नारे के तहत शुरू हुए ‘NAM’ के 19वें शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ ने कहा, ”दुनिया के 60 प्रतिशत से अधिक लोग संयुक्त राष्ट्र के सदस्य हैं, आधे से अधिक विश्व की जनसंख्या और संयुक्त राष्ट्र के बाद सबसे अधिक प्रतिनिधियों वाली इस संस्था की शांति और सुरक्षा के लिए उचित भूमिका निभायी जानी चाहिए।”
सभी के सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए राजनीतिक बातचीत और कूटनीति के माध्यम से शांति और सुरक्षा के लिए स्थायी समाधान खोजने की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रधान मंत्री प्रचंड ने कहा कि चूंकि नेपाल एक शांतिपूर्ण देश है, इसलिए वह सभी प्रकार के संघर्षों और भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की निंदा करता है। उन्होंने कहा, ”यूक्रेन और गाजा में संघर्ष बहुत दर्दनाक है. नए और पुराने संघर्षों के नतीजे इस क्षेत्र पर नहीं बल्कि पूरी दुनिया और विशेषकर दक्षिण पर असर डाल रहे हैं। इसलिए, अब समय आ गया है कि सभी के सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए राजनीतिक बातचीत और कूटनीति के माध्यम से शांति और सुरक्षा का स्थायी समाधान खोजा जाए।”
यह स्पष्ट करते हुए कि नेपाल ने संप्रभु समानता, पारस्परिक सम्मान, पारस्परिक लाभ और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर आधारित एक संतुलित और स्वतंत्र विदेश नीति अपनाई है, प्रधान मंत्री प्रचंड ने कहा, “गुटनिरपेक्षता का सिद्धांत नेपाल की विदेश नीति के मूल सिद्धांतों में से एक है। ”
उन्होंने ‘नाम ‘ के निरंतर मूल्यों और सिद्धांतों को पवित्र बताते हुए कहा कि इसका अनुपालन हमें एक शांतिपूर्ण, सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध विश्व प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन कर रहा है। प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ ने कहा, ”नेपाल शांति के प्रतीक गौतम बुद्ध द्वारा शुरू किए गए शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के शाश्वत सत्य में विश्वास करता है। विविधता में एकता और वसुधैव कुटुंबकम अर्थात ‘विश्व एक परिवार है’ हमारी जीवन शैली बन गई है। ये मूल्य अनादि काल से हमारी सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं में समाहित रहे हैं