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एक बहुत ही सुंदर कविता

एक बहुत ही सुंदर कविता
लिखने का प्रयास किया है
( दो बार पढे और आनन्द लें l )

जो कह दिया वह शब्द थे ;
जो नहीं कह सके
वो अनुभूति थी ।।
और,
जो कहना है मगर ;
कह नहीं सकते,
वो मर्यादा है ।।

जिंदगी का क्या है ?
आ कर नहाया,
और,
नहाकर चल दिए ।।

बात पर गौर करना- —-

पत्तों सी होती है
कई रिश्तों की उम्र,
आज हरे——-!
कल सूखे ——-!

क्यों न हम,
जड़ों से;
रिश्ते निभाना सीखें ।।

रिश्तों को निभाने के लिए,
कभी अंधा,
कभी गूँगा,
और कभी बहरा ;
होना ही पड़ता है ।।

बरसात गिरी
और कानों में इतना कह गई कि———!
गर्मी हमेशा किसी की भी नहीं रहती।।

नसीहत,
नर्म लहजे में ही
अच्छी लगती है ।
क्योंकि,

दस्तक का मकसद,
दरवाजा खुलवाना होता है;
तोड़ना नहीं ।।

घमंड———–!
किसी का भी नहीं रहा,
टूटने से पहले ,
गुल्लक को भी लगता है कि ;
सारे पैसे उसी के हैं ।

जिस बात पर ,
कोई मुस्कुरा दे;
बात ——–!
बस वही खूबसूरत है ।।

थमती नहीं,
जिंदगी कभी,
किसी के बिना ।।
मगर,
यह गुजरती भी नहीं,
अपनों के बिना ।

– नरेंद्र शर्मा

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