सहकारी समितियों में खुलेंगे सस्ती जेनरिक दवाओं के मेडिकल स्टोर
कोविड आपदा के चलते कई क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी बन रहे हैं। ग्रामीणों को अब प्रारंभिक सहकारी समितियों (पैक्स) के जरिये बहुत जल्द सस्ती जेनरिक दवाएं मिलेंगी। वहीं ग्रामीण इकालों में हजारों को रोजगार भी मिलेगा। जी हां, सहकारिता विभाग इसके लिए पैक्सों का चयन कर रहा है। पहले चरण में राज्य के 631 पैक्सों पर जेनेरिक दवाएं बेचने के लिए मेडिकल स्टोर खोले जाएंगे।
सहकारी विभाग जनऔषधि केंद्र की तरह पैक्सों से जेनेरिक दवाएं बेचने की योजना का संचालन आयुष्मान सहकार योजना के तहत करेगा। विभाग का यह कदम ग्रामीणों को घर के पास सस्ती दवाएं तो मुहैया कराने का बड़ा साधन बनेगा ही गांवों में ही सस्ती दवाएं मिलने पर ग्रामीणों को हर छोटी-मोटी बीमारियों की दवा के लिए शहर बाजार की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।
अपर मुख्य सचिव सहकारिता एमवीएस रामीरेड्डी के मुताबिक पहले चरण में मेडिकल स्टोर संचालन के लिए 631 पैक्सों का चयन कर लिया गया है। अन्य पैक्सों पर भी यह सेवा शुरू की जाएगी। प्रत्येक पैक्स पर जेनेरिक दवाओं की बिक्री के लिए मेडिकल स्टोर के संचालन पर करीब 10 से 15 लाख रुपये खर्च होंगे। इसके लिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम से कर्ज लिया जाएगा। पैक्सों पर उपलब्ध मानव संसाधन को दवाओं की बिक्री में भी लगाया जाएगा। जिन पैक्सों पर पहले से काम का दबाव है, वहां इसके लिए मानदेय के आधार पर लोग रखे जाएंगे। एक मेडिकल स्टोर पर कम से कम तीन लोगों को रोजगार मिलने का प्रारंभिक आंकलन किया गया है। लिहाजा, गांवों में हजारों को रोजगार मिलेगा।
अभी तक गांवों में किसानों को खाद, बीज, पशुचारा जैसी खेती-किसानी से जुड़े उत्पाद बेचने वाले इस पहल से पैक्स की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। पैक्सों के कंप्यूटरीकरण करने की योजना पर भी काम किया जा रहा है। राज्य में इस समय करीब 7000 पैक्स हैं जिनमें से 6400 पैक्स सक्रियता से अपना काम कर रहे हैं। शेष पैक्सों की स्थिति काफी जर्जर है। अभी तक गांवों में पैक्स किसानों को खाद, बीज, पशुचारा जैसी खेती-किसानी से जुड़े उत्पाद बेच रहे हैं।